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सूरजकुंड मेले में राजस्थानी सांस्कृतिक संध्या का आयोजन राजस्थान के लोक कलाकारों ने दी मनमोहक प्रस्तुत


जयपुर,। दिल्ली एन.सी.आर. में स्थित फरीदाबाद में चल रहे 17 दिवसीय 32वें अंतराष्ट्रीय सूरजकुंड क्राफ्ट मेंले में सोमवार को आयोजित राजस्थानी सांस्कृतिक संध्या में राजस्थान के लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने ऎसा समां बांधा कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गये।






दिल्ली में राजस्थान पर्यटक स्वागत केन्द्र की अतिरिक्त निदेशक डॉ. गुणजीत कौर ने बताया कि मेले के चौपाल मंच पर दो घंटे से भी अधिक चले सांस्कृतिक कार्यक्रम में राजस्थान की विश्व प्रसिद्ध कालबेलियां नृत्यांगनाओं सहित प्रदेश के विभिन्न अंचलों से आये लोक कलाकारों ने ऎसा समां बांधा कि दर्शक नयनाभिराम प्रस्तुतियां देखने में मग्न हो गये। कलाकारों के भवई नृत्य, खारी नृत्य, कच्छी घोड़ी नृत्य आदि को दर्शकों ने खूब सराहा।





उन्होंने बताया कि जोधपुर के श्री रफीक लंगा द्वारा प्रस्तुत खडताल वादन एवं गायन और अलवर के            श्री घनश्याम प्रजापत के खारी नृत्य, श्री महमूद खान मेवाती द्वारा प्रस्तुत भपंग वादन, श्री बनय सिंह प्रजापत के भवई नृत्य ने दर्शकों को पूर्ण आनंदित किया।






डॉ. कौर ने बताया कि झालावाड़ के श्री जुगल किशोर एवं उनके सहयोगियों द्वारा प्रस्तुत कानग्वालिया नृत्य, अजमेर पुष्कर की श्रीमती सुनिता सपेरा के कालबेलियां नृत्य और टोंक जिले के निवाई क्षेत्र से आए श्री रामप्रसाद शर्मा के सहयोगियों द्वारा प्रस्तुत कच्छी घोड़ी एवं अलगोजा वादन पर उपस्थित दर्शकों ने खूब तालियां बजाई।





उन्होंने बताया कि दौसा के खेडला से आए श्री अशोक शर्मा की मिमिक्री को दर्शकाें ने खूब सराहा। सांस्कृतिक संध्या का संचालन खेडला दौसा के उदघोषक श्री अशोक शर्मा ने किया। इसके अतिरिक्त राजस्थान के घूमंतु कलाकारों ने मेेले में विभिन्न स्थानों पर कच्छी घोड़ी, कठपुतली, भोपा-भोपी आदि की लगातार तीन दिवस तक प्रस्तुतियां दी डॉ. कौर ने बताया कि मेले में आगामी राजस्थानी सांस्कृतिक संध्या का आयोजन 15 फरवरी को भी किया जाएगा।




कार्यक्रम के अंत में पर्यटन विभाग के पर्यटक स्वागत केंद्र दिल्ली की सहायक निदेशक श्रीमती सुमिता मीना ने दर्शकों एवं विशिष्ट अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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