मोर्डन कोच फैक्टरी रायबरेली द्वारा “मेक इन इंडिया” के तहत,
स्वदेशी तौर पर बनाये जा रहे है यह नये स्मार्ट कोच,
जल्द ही बनायें जायेगे इस प्रकार के 100 “स्मार्ट रेल डिब्बे”
श्रीगंगानगर। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्वनी लोहानी ने मंगलवार को सफदरजंग रेलवे स्टेशन पर नवनिर्मित “स्मार्ट कोच” का निरीक्षण किया। इस अवसर पर उनके साथ मार्डन कोच फैक्टरी रायबरेली के महाप्रबंधक राजेश अग्रवाल, उत्तर रेलवे के प्रमुख मुख्य यांत्रिक इंजीनियर अरून अरोरा तथा यांत्रिक विभाग के अन्य उच्च अधिकारी भी उपस्थित थे। लोहानी अत्याधुनिक तकनीक से युक्त “स्मार्ट कोच” को देखकर अत्यन्त आश्वस्त दिखे। ये स्मार्ट कोच स्वदेशी तौर पर “मेक इन इंडिया” के तहत बनाये गये हैं तथा उन्होने कहा कि जल्द ही इस प्रकार के 100 स्मार्ट रेल डिब्बे निर्मित किये जायेगे ।
उन्होने कहा कि मॅडर्न कोच फैक्ट्री, रायबरेली ने एक स्मार्ट कोच नं. 18155 एलएसीसीएन बनाया है। यह कोच एलएचबी प्लेटफार्म पर निर्मित है और सिंगल विंडो के माध्यम से सभी सेंसरों की स्थिति की निगरानी के लिए केंद्रीकृत कंप्यूटर और अत्याधुनिक सेंसरों से लैस है। कोच की मुख्य विशेषताएं एक्सल बॉक्स पर कंपन आधारित सेल्फ पावर हार्वेसि्ंटग सेंसर बियरिंग व्हील दोष और ट्रैक पर हार्ड स्पॉट का अनुमान लगायेगा, इससे रेलवे को आवश्यकता के आधार पर अपने रखरखाव की योजना बनाने में मदद मिलेगी और लाइन विफलताओं को भी दूर किया जा सकेगा ।
“पीआईसीसीयू“ (यात्रा सूचना और कोच कंप्यूटिंग यूनिट) के रूप में जानी जाने वाली केंद्रीय प्रसंस्करण इकाई मूल रूप से औद्योगिक ग्रेड कंप्यूटर है, जिसमें रिमोट सर्वर पर अपवाद रिपोर्ट भेजने के लिए जीएसएम नेटवर्क प्रदान किया गया है। पीआईसीसीयू मुख्य रूप से कोच रखरखाव और यात्रा इंटरफ़ेस के द्वारा 4 महत्वपूर्ण क्षेत्रों की निगरानी करेगा, जिनमें कोच डायग्नोस्टिक प्रणाली, सुरक्षा और निगरानी प्रणाली, एयर कंडीशनिंग, डिस्क ब्रेक सिस्टम, फायर डिटेक्शन और अलार्म सिस्टम जल स्तर सूचक जैसी अन्य उप प्रणालियों वाला इंटरफेस तथा जीपीएस आधारित यात्रा उदघोषणा और सूचना प्रणाली और डिजिटल गंतव्य बोर्ड होंगे।
उन्होने बताया कि यात्रा सूचना प्रणाली यात्रियों को ट्रेन के अगले स्टेशन के बारे में सूचित करेगी और अगले स्टेशन पर आने का अपेक्षित समय भी दर्शायेगी। यह प्रणाली ट्रेन की गति भी दिखा सकती है। जल स्तर सूचक पानी के रिफिलिंग की आवश्यकता के बारे में एसएमएस के माध्यम से रखरखाव कर्मचारियों की अग्रिम जानकारी दे सकता है। कृत्रिम खुफिया क्षमता वाले सीसीटीवी रेलयात्रियों की सुरक्षा में वृद्धि करेगा और ऑन-बोर्ड रेलवे कर्मचारियों के व्यवहार और गतिविधियों की निगरानी भी करेगा। सीसीटीवी की फुटेज़ यात्रा के दौरान किसी भी अप्रिय घटना की जांच और अपराधियों की पहचान करने में रिमोट कंट्रोल सेंटर से सीधे हस्तक्षेप करते हुए मदद करेगा। दूरस्थ स्थान से चलती हुई रेलगाड़ी के एसी तापमान की निगरानी की जा सकती है और आवश्यकता पड़ने पर यात्रियों के आराम को बढ़ाने के लिए तापमान को नियंत्रित किया जा सकता है।
यह प्रणाली ब्रेक सिस्टम की निगरानी करने में भी सक्षम है और सिस्टम में किसी भी त्रुटि के बारे में अनुरक्षण कर्मचारियों को अग्रिम रूप से सूचित कर सकती है ताकि सुधारात्मक कार्रवाई और रखरखाव की योजना बनाई जा सके। कोच रेलयात्रियों (विशेष रूप से महिला और बच्चे) और ट्रेन के गार्ड के बीच परस्पर सम्पर्क स्थापित करने के लिए आपातकालीन टॉक बैक सिस्टम भी प्रदान किया गया है ताकि आवश्यक सहायता प्रदान की जा सके।
उन्होने बताया कि कोच में वाई-फाई हॉट स्पॉट सूचना प्रणाली भी प्रदान की गई है। यात्रा स्वयं डिवाइस से जुड़ सकते हैं और अपने मोबाइल फोन, टैब और लैपटॉप पर फिल्म, गाने और सरकारी योजना आदि जैसे कार्यक्रम देख सकते है। सभी स्मार्ट कोच में रखरखाव के तौर-तरीके को बदल दिया जाएगा और यात्रियों को विश्व स्तरीय सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। स्मार्ट कोच की प्रणाली कोचों और ट्रैकों के निवारक रखरखाव से अनुमानित रखरखाव में भी मदद करेग। रखरखाव की आवश्यकता कम हो जाएगी और लागत प्रभावी होगी और लक्षित रखरखाव की योजना पहले से ही बनाई जा सकती है। सभी प्रणालियों व उपकरणों की अतिरिक्त लागत लगभग 12-14 लाख रुपये होगी जो एक वर्ष या इतनी ही अवधि में वसूल की जा सकती हैं। इस कोच के अनुभवों का लाभ उठाने के लिए 100 और स्मार्ट कोच तैयार करने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की जा रही है ।
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