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Journalist Protection Act |
राजस्थान(कुलदीप शर्मा)। प्रदेश में पत्रकार अपनी सुरक्षा को लेकर कितने संघर्षशील है वो साफ नजर आता है। देखते ही देखते प्रदेश में कई संगठन खड़े हो गए जिनका उद्देश्य सिर्फ पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करवाना है हालांकि ये बात अलग है कि कुछ एक राज्य में पत्रकार सुरक्षा कानून को लागू भी किया जा चुका है। जिसका फायदा ये हुआ है कि पत्रकारों की सुरक्षा सरकार की अहम जिम्मेदारी में शुमार हो चुकी है। हर रोज राजनीतिक व सामाजिक ताने-बाने की गलतियों को ढूंढ आमजन के हित के लिए जद्दोजहद करने वाले कलम के सिपाही यानी पत्रकारों की सुरक्षा कितनी है वो हम सभी भली भांति जानते हैं लेकिन आजतक भी कोई इस मसले पर ढंग से प्रदेश स्तरीय या देश स्तरीय मुहिम नहीं चला पाया है। हालांकि ये बात अलग है कि कुछ एक पत्रकारों के साथ हुए अन्याय में देश के बड़े मीडिया घरानों, रीजनल मीडिया संस्थानों व पत्रकारों ने खुल कर अपनी बात रखी है। लेकिन हर किसी पत्रकार के मामले में ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है। पत्रकारों के लिए ये उस घड़ी से कम नहीं है जब मीडिया पर आपातकाल लगाया गया था...! आज भी प्रदेश में कई बार ऐसी घटनाओं ने मीडिया को तोड़ने का भरसक प्रयास किया है और हमारी आपसी फूट व कमजोरी का फायदा उठाने में किसी प्रकार की कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
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Journalist Protection Act |
पत्रकारों जरा गौर करे....
उदाहरण:-#1 बाड़मेर पत्रकार पर कूटरचित मामला
आप सभी जानते भी होंगे कि पत्रकारिता में खबरे पक्ष व विपक्ष में लगना हर रोज की बात होती है लेकिन किसी खबर को लेकर पत्रकार को इस कदर पड़ताडित करने का जो मामला सामने आया उसकी हर स्थान पर निंदा की गई। प्रदेश में पत्रकारों व एक समाज विशेष ने बाड़मेर पत्रकार दुर्गसिंह के लिए आवाज उठाई। जिसका साथ सर्वप्रथम सोशल मीडिया(Facebook, Twitter, whatsapp Etc.) ने दिया। Social Networking Site को ढाल बनाकर दुर्ग सिंह के पक्ष में लिखना शुरू किया गया जो इस कदर पत्रकारों से लेकर आमजन की आवाज बना की पत्रकार को पटना कोर्ट ने स-सम्मान कोर्ट ने जमानत याचिका मंजूर कर ली। वो मीडिया संस्थान भी धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने इस खबर पर निगाह बनाये रखी और पत्रकार को ज्यादा लम्बे समय तक पड़ताडित होने से बचाया। रीजनल मीडिया से नेशनल मीडिया में दुर्ग सिंह को लेकर खूब चर्चाएं हुई जिसका नतीजा ये हुआ कि दुर्ग सिंह केवल बाड़मेर की नहीं अपितु देश की आवाज बन गए। अब जरूरत है तो ऐसी हिम्मत ओर दिखाने की ताकि इसी आवाज के साथ Journalist Protection Law पर मुहिम चलाई जा सके ताकि कोई ओर दुर्ग सिंह नहीं बन सके!
हनुमानगढ़ के पत्रकार भी प्रताड़ना से नहीं है अछूते
मेरी पत्रकारिता की शुरुआत तो हनुमानगढ़ से नहीं है लेकिन जब से हनुमानगढ़ आने के बाद पत्रकारिता का अध्याय नए जिले से शुरू किया तो काफी जोश था वैसा ही जैसे अन्यो जिलों,राजधानी व तहसीलो में रहा था। यहां पर भी वेसे ही अपनी स्वतन्त्र लेखनी से लिखने का प्रयास करता आ रहा हूँ। मेरे ध्यान में ऐसे करीबन 3-4 मामले ताजा ही आये हैं जिसमे पत्रकारों ने ना केवल मानसिक परेशानी झेली है बल्कि शारीरिक परेशानियों का भी सामना किया है। पहला मामला जब सामने आया जब एक स्वतंत्र प्रेस फ़ोटो ग्राफर को निजी कॉलेज प्रशासन ने अपना शिकार बनाते हुए उसके साथ मारपीट की जिसमे पत्रकार का कान भी थोड़ा कट गया था। उसके बाद ही एक पत्रकार जिसपर ब्लैकमेलिंग का झूठा आरोप मढ़ दिया गया लेकिन कुछ एक को छोड़ कर सभी चुप रहे ये वास्तव में पत्रकारिता जगत के लिए आपातकालीन जैसी ही स्थिति थी। उसके बाद एक वरिष्ठ पत्रकार पर social Media Facebook का सहारा लेकर बदनाम करने का प्रयास किया गया हालांकि ये बात अलग थी जब मामले ने तूल पकड़ा और मामला थाने तक पहुंचा तो बस व्यक्ति को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने माफी मांग कर पिंड छुड़ाया। ये तभी सम्भव हुआ जब पत्रकार एक हुए थे। उसके ठीक बाद हाल ही में बाड़मेर दुर्ग सिंह के मामले से ठीक पहले हनुमानगढ़ के गोलूवाला में पत्रकार के साथ कथित तौर पर डॉक्टर ने दुर्व्यवहार कर उसे केबिन से बाहर जाने तक को कह दिया गया लेकिन ऐसा होने के बाद पत्रकारों ने एकता दिखाई लेकिन वो भी ना-नुकर के जरिये...! अब सवाल ये ही खड़ा होता है जब जिले में पत्रकार हर रोज प्रताड़ना के शिकार हो रहे हैं तो ये संगठन किसलिए और क्यों बनाये गए हैं...???
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एक मुहिम,एक मंच,एक लक्ष्य के साथ क्यों ना पत्रकार सुरक्षा पर मंथन किया जाए.....
पत्रकार सुरक्षा को लेकर अनेक संगठन खड़े हो रहे हैं प्रदेश में! क्योंकि हर पत्रकार को अपनी सुरक्षा की चिंता सताने लगी है जिसके चलते पत्रकार हर रोज संगठनों में अपनी सुरक्षा ढूंढता हुआ कभी इधर तो कभी उधर गोते खाने पर मजबूर हो रहा है। पत्रकार सुरक्षा कानून की हमे कितनी जरूरत है ये हम सभी भली भांति जानते हैं लेकिन हम सुरक्षित कब होंगे इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। Journalist Protection Law हमारे संगठनों के लिए पत्रकार जोड़ने का मात्र उद्देश्य बनते हुए नजर आने लगा है। अब हमें जरूरत है तो एक मंच,एक उद्देश्य,एक लक्ष्य के साथ आगे बढ़ने की ताकि राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार को पत्रकार सुरक्षा पर विचार करने पर मजबूर होना पड़े! हालांकि समय-समय पर प्रदेश की मुख्यमंत्री से लेकर देश के पीएम ने पत्रकारिता जगत में असुरक्षा को लेकर गम्भीरता जताई है लेकिन लगातार पत्रकार सुरक्षा कानून पर संघर्ष ना करने के चलते वो भी ठंडे बस्ते में डालते जाते हैं।
आमजन की सुरक्षा करना जैसे पुलिस का दायित्व वेसे पत्रकार की सुरक्षा सरकार का दायित्व
भारत के सविधान में सभी को स्वतन्त्र जीने,रहने व खाने की आजादी दी गयी है। जिसकी सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी व देश मे कानून व्यवस्था लागू करने के लिए पुलिस को सौंपी गई है। वेसे ही सरकार की जिम्मेदारी भी बनती है कि वो राष्ट्र के चौथे स्तम्भ यानी मीडिया की सुरक्षा को सुनिश्चित करे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भी कई ऐसे फैसले दिए हैं जो राष्ट्र के चौथे स्तम्भ को मजबूती प्रदान करते हैं। पिछले कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट के जजों ने भी प्रेस वार्ता आयोजित करके ये जता दिया था कि मीडिया की भूमिका समाज व देश के लिए कितनी व क्यों जरूरी है। अब फैसला हमने ही करना है ऐसे ही खुद पर आपातकाल लगवाते जाना है या आगे बढ़कर Journalist Protection Law लागू करवाने की मांग करनी है।
Report Exclusive जल्द लाएगा पत्रकारों के लिए खुला बेबाक मंच....
Report Exclusive न्यूज़ जल्द ही इस पर विचार करने जा रहा है कि देश मे मीडिया का गला घोंटने का जिस प्रकार से प्रयास किया जा रहा है उसपर कैसे जागरूक किया जाए या रोक लगाने का पुरजोर प्रयास किया जाए..., रिपोर्ट एक्सक्लूसिव जल्द ही अपने मुख्य मेनू में पत्रकार मंच से ऑप्शन बनाने वाला है जिसमे देश का कोई भी पत्रकार अपनी बात पत्रकार सुरक्षा कानून या पत्रकारों से जुड़े पहलुओं पर रख सकता है। कोई भी किसी भी तरह से पड़ताडित पत्रकार भी अपनी बात पत्रकार मंच के माध्यम से देश-दुनिया तक पहुंचा सकता है। आओ मिलकर करे प्रयास......
....आज हम कल आप और परसो हम सभी.........
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लेखक कुलदीप शर्मा पेशे से पत्रकार है जो रिपोर्ट एक्सक्लूसिव के सम्पादक भी हैं। |
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