चेन्नई(जी.एन.एस). मद्रास उच्च न्यायालय ने एकल पीठ के आदेश को दरकिनार करते हुए तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया है कि वह एक दिव्यांग एमबीबीएस उम्मीदवार को पाठ्यक्रम में शामिल करे और उसे एनईईटी परीक्षा में शामिल होने पर जोर नहीं दे। न्यायमूर्ति एच.जी. रमेश और न्यायमूर्ति के. कल्याणसुंदरम की खंडपीठ ने 2016 में एकल पीठ के आदेश को दरकिनार कर यह निर्देश दिया। एकल पीठ ने एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर विचार करते हुए अपीलकर्ता की अपील खारिज कर दी थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 80 फीसदी दिव्यांगता के कारण वह पात्र नहीं है।
अदालत ने कहा, हमारी राय है कि 2016-17 के दौरान एमबीबीएस के लिए आवेदन करने वाली उम्मीदवार दाखिला पाने के लिए पात्र और हकदार है। लेकिन उसके मामले पर ठीक से विचार नहीं किए जाने के कारण वह पहले ही दो साल गंवा चुकी है। पीठ ने कहा कि 2016-17 के दौरान मेडिकल में दाखिले के लिए एनईईटी परीक्षा पास करना अनिवार्य नहीं था। यदि अब इस आधार पर याचिकाकर्ता के. नंदिनी का केस खारिज किया गया तो उसके लिए एनईईटी परीक्षा देना मुश्किल होगा।
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