विदेश की भांति भारत में भी #मी टू की मुहीम शुरू हुई है। कई फ़िल्मी कलाकारों के साथ साथ राजनीति में भी मंत्री एम.जे.अकबर के सामने कम से कम 6 महिला पत्रकारों ने यौन शोषण का संगीन आरोप लगाया है। मंत्री जी को अभी इस्तीफा देने का आदेश नहीं मिला है। उनके इस्तीफे की मांग हो रही है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाहजी ने देखना पड़ेगा….इतना ही कहा है। उन्हें सरकार में रखना नहीं रखना ये पार्टी और सरकार के मुखिया का विषय है। लेकिन सार्वजनिक जीवन में मंत्रीजी का नैतिकता के आधार पर पतन हो चूका है। अकबर पीड़ित महिला पत्रकारों को अभी न्याय की कोई ढाढस बने उस से पहले सबरीमाला मंदिर में सभी आयु की महिलाओं के प्रवेश के खिलाह साउथ के जानेमाने अभिनेता और भाजपा के कार्यकर्ता तुलसीधरण नैयर ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तह जो महिलाये सबरीमाला मंदिर में दर्शन करना चाहती है
उन महिलाओं को जान से मारने की धमकी दी है। उन्हों ने ऐसी महिला के दो टुकड़े कर एक टुकड़ा दिल्ही और दूसरा केरल सरकार को भेजने की बात कर महिला श्रध्धालु को न सिर्फ डराने की बल्कि टुकड़े टुकड़े कर के मारने की भी बात कही है।
कभी कभी लोगो को लगता है की हम लोकतंत्र वाले भारत में है या कंधार के तालिबानी प्रदेश में..? फिल्म पद्मावत की नायिका दीपिका की नाक काटने वाले को इनाम की घोषणा हुई थी। इनाम देने की घोषणा करनेवाले के खिलाफ क्या पुलिस कार्यवाई हुई? कभी किसी का सर काटने वालो को इनाम की घोषणा और अब अभिनेता खुद महिला को मार का उसके टुकड़े टुकड़े कने की सरिआम धमकी दे रहा है और भाजपा और सरकार मौनीबाबा की मुद्रा में है।
जिन महिलाओ ने हिमत कर #मी टू मुहीम में अपने यौनाचार और यौन शोषण की बात सार्वजनिक और साझा की उन्हें अभी इन्साफ के लिए मंत्रीजी को हटाने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे। महिला मंत्री मौन है। कोई कहता है ये तो मंत्री बनने के पहले बात है इसलिए सोचन होंगा। कोई कहता है की देखना होंगा। ऐसे ब्यान देनेवाले महिलाओं के टुकड़े टुकड़े करने की धमकी दे रहे है उनके खिलाफ पार्टी आलाकमान कोई कदम उठायेगी क्या ?
सुप्रीम कोर्ट कहती है सबरीमाला मंदिर में सभी आयु की महिलाओं को मंदिर प्रबंधक प्रवेश दे। ये उनका मुलभुत सम्वैधानिक अधिकार है। लेकिन भाजपा के नेता-अभिनेता कहते है की प्रवेश करनेवाली ऐसी महिलाओं को जानसे मार दी जायेगी…! क्या यह कोर्ट का अवमान और अपराध नहीं? कोर्ट से ऊपर कोई है क्या? कहने को तो कहते है कानून के सामने सब एक समान लेकिन जब अदालत के किसी ऐतिहासिक फैंसले के अमल की बात आती है तब मारने की काट डालने की बात कोई कहे और उसका बाल भी बांका न हो ऐसा तो मेरे देश में ही संभव है।
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