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मिडिया की जीत है पत्रकार सुरक्षा कानून को घोषणा - पत्र में शामिल करना



      

- कानून बनना जरूरी है दोनों ही पार्टियां इस वादे को याद रखे
श्रीगंगानगर। पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर प्रयासरत पत्रकार संगठनों का प्रस्ताव देश की दोनों बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने स्वीकार करते हुए अपने घोषणा-पत्र में शामिल किया है। राजस्थान विधानसभा चुनाव से पूर्व भाजपा और कांग्रेस के जारी घोषणा-पत्र में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून लाने का वादा किया गया है। इसके अलावा डिजीटल जर्नलिज़्म, अधिस्वीकरण, पत्रकारों के आवास आदि के लिए भी नए स्तर पर नीति बनाने का काम किया गया है। राजस्थान श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल जान्दू ने दोनों ही पार्टियों द्वारा पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने के वादे पर प्रसन्नता जताते हुए कहा है कि वास्तव में यह राजस्थान के पत्रकारों की जीत है। आईएफडब्ल्यूजे के प्रदेशाध्यक्ष उपेंद्र सिंह राठौड़ के नेतृत्व में प्रदेश के पत्रकारों ने इस विषय पर काम किया। हर जनप्रतिनिधि तक अपनी बात पहुंचाई, जिससे दोनों पार्टियों को लगा कि यह कानून जरूरी हो गया है। संघ के जिला महासचिव कैलाश दिनोदिया ने कहा कि पत्रकारों के सामूहिक प्रयासों का ही यह परिणाम है और दोनों ही पार्टियां इस वादे को याद रखे। केसरसिंहपुर से अशोक बजाज और सूरतगढ़ से हरिमोहन सारस्वत ने कहा कि आज के समय में यह बहुत जरूरी हो गया है कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिए नीतिगत रूप से कुछ तय हो, क्योंकि पत्रकार जान हथेली पर लेकर काम करते हैं। सादुलशहर से राजेंद्र सिंघला और रायसिंहनगर से हरभजन सिंह सूदन ने कहा है कि सरकार किसी की बने यह कानून बनना चाहिए। इसके अलावा पिंकसिटी प्रेस क्लब जयपुर के महासचिव मुकेश चौधरी, पूर्व अध्यक्ष सत्य पारीक, वरिष्ठ पत्रकार शंकर नागर, जगदीश जैमन, लघु समाचार पत्र संपादक संघ के प्रदेशाध्यक्ष बाबूलाल भारती, चूरू से मनोज शर्मा, हनुमानगढ़ से गोपाल झा, बीकानेर से हरीश बी. शर्मा, अजमेर प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र गुंजल, अनूपगढ़ से चंद्र ओझा सहित प्रदेश भर के श्रमजीवी पत्रकारों ने भी दोनों पार्टियों द्वारा अपने घोषणा पत्र में इस मुद्दे को शामिल करना एक बड़ी जीत बताया है।


- फोटो संलग्न 

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