नई दिल्ली. देश में कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण मजदूरों और उद्योगों की स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि मजदूर और उद्योग एक दूसरे पर निर्भर हैं। इसलिए किसी भी उद्योग पर दंडात्मक कार्रवाई न हो। सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने एमएसएमई सहित कई कंपनियों द्वारा दायर कई याचिकाओं को लेकर अपना फैसला सुनाया। इन याचिकाओं में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के 54 दिनों की अवधि के दौरान कर्मचारियों को पूर्ण वेतन और भुगतान करने के गृह मंत्रालय के आदेश को चुनौती दी गई थी।
इस मामले पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने कहा कि हमने नियोक्ताओं के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है, साथ ही पहले के आदेश जारी रहेंगे। उन्होंने कहा कि इस विषय पर केंद्र द्वारा विस्तृत हलफनामा जुलाई के अंतिम सप्ताह में दाखिल किया जाना चाहिए।
राज्य सरकार के श्रम विभागों द्वारा कर्मचारियों और नियोक्ताओं की सुविधा के लिए वार्ता की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट (एससी) ने कहा कि सैलरी भुगतान को लेकर नियोक्ता और कर्मचारी आपस में समझौता करें। उद्योगों और श्रमिकों को एक दूसरे की जरूरत है और पारिश्रमिक के भुगतान विवाद को हल करने के प्रयास किए जाने चाहिए। वहीं, इस मामले को लेकर जुलाई के आखिरी हफ्ते में फिर से सुनवाई की जाएगी।
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