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जिला कलक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय क्रियान्वयन समिति की प्रथम बैठक सम्पन्न


श्रीगंगानगर,। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत जिला स्तरीय क्रियान्वयन समिति की पहली बैठक गुरूवार को जिला कलक्टर श्री जाकिर हुसैन की अध्यक्षता में हुई। कलेक्ट्रेट सभागार में हुई इस बैठक में सीडीईओ श्री हंसराज यादव, समिति सचिव एवं अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक श्री रणजीत सिंह उपस्थित थे तथा कार्यक्रम अधिकारी श्री जयकुमार व सहायक परियोजना समन्वय श्री दिनेश कुमार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर पावर पोईंट प्रजेंटेशन देते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति का परिचय, विजन, मुख्य बातें, क्रियान्वयन, टाइमलाइन इत्यादि के बारे में जानकारी दी।

बैठक में समिति के अध्यक्ष जिला कलक्टर श्री जाकिर हुसैन ने शैक्षणिक गुणवत्ता व नामांकन वृद्धि हेेतु सार्थक प्रयास करन औ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार के लिये प्रेरित किया। इससे पहले बैठक में समिति के सचिव श्री रणजीत सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के साथ शिक्षा में नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देना तथा भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाना है।  इसके तहत वर्तमान में सक्रिय 10$2 के शैक्षिक माॅडल के स्थान पर शैक्षिक पाठ्यक्रम को 5$3$3$4 प्रणाली के आधार पर विभाजित किया गया है। इसमें 5 वर्ष का फाउंडेशन स्टेज, 3 वर्ष का प्रिपे्रटरी स्टेज, 3 वर्ष का मिडिल स्टेड और 4 वर्ष का सैकेंडरी स्टेज को शामिल किया गया है।
श्री रणजीत सिंह ने बताया कि 5 वर्षीय फाउंडेशन स्टेज में बच्चों को लचीली, बहुआयामी, खेल गतिविधि आधारित, साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान करवाया जायेगा। इसमें 3 से 6 वर्ष के बच्चे को आंगनबाड़ी केन्द्रा पर प्री स्कूल हेतु उसके बाद 6 से 8 वर्ष में कक्षा 1 और 2 की शिक्षा को शामिल किया गया है। इसी तरह 3 वर्षीय प्रिपेटरी स्टेज में बच्चों को कक्षा 3 से 5 (आयुवर्ग 8 से 11) में संवादात्मक कक्षा शैली, शारीरिक शिक्षा, कला, भाषा, विज्ञान, गणित, पाठ्य पुस्तक आधारित शिक्षण होगा। इसके बाद मिडिल स्टेज के 3 वर्ष में कक्षा 6 से 8 (आयुवर्ग 11 से 14) में विषय विशेषज्ञ द्वारा विज्ञान, गणित, कला, खेल, सामाजिक विज्ञान, मानविकी, व्यावसायिक विषयों में अमूर्त धारणाओं पर काम किया जायेगा। सैकंडरी स्टेज के 4 वर्ष में कक्षा 9 से 12वीं (आयु 14 से 18) को शामिल किया गया है। साथ ही विषय चयन में लचीलापन रखा जायेगा।
श्री सिंह ने बताया कि नई शिक्षा नीति में कक्षा 6 से शैक्षिक पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा को शामिल किया गया है। इसी तरह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत वर्ष 2021-22 तक विधालय शिक्षा व शिक्षक शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा रूपरेखा तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2022-23 तक शिक्षकों के लिये राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक का विकास करने का लक्ष्य है। वर्ष 2026-27 तक फाउंडेशन लिटरेसी एण्ड न्यूमरेसी अंतर्गत कक्षा 3 तक का प्रत्येक विधार्थी आधारभूत शिक्षा एवं संख्या ज्ञान प्राप्त कर सकेगा। इस संबंध में शिक्षा मंत्रालय द्वारा 5 जुलाई 2021 को निपुण भारत कार्यक्रम की शुरूआत हो चुकी है।
समिति के सचिव ने बताया कि अब तक आरटीआई के अंतर्गत 6 से 14 आयु वर्ग के बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान था, जिसे 2030 तक 3 वर्ष से 18 वर्ष तक के बच्चों यानि प्री स्कूल से माध्यमिक स्तर तक 100 प्रतिशत नामांकन लक्ष्य प्राप्त करना है। नई शिक्षा नीति में विधार्थियों के बस्ते का बोझ कम किया जायेगा। विशेष आवश्यकता वाले मूक बधिर विधार्थियों के लिये भारतीय सांकेतिक भाषा मानकीकरण किया जायेगा। देशभर के 2 करोड़ ड्राप आउट विधार्थियों को मुख्य धारा में लाया जायेगा। इसके अलावा समग्र मूल्यांकन, जेण्डर असमानता दूर करना, संवेदनशीलता, समता, समावेशी शिक्षा, प्रतिभाशाली विधार्थियों पर विशेष ध्यान इत्यादि को भी नई शिक्षा नीति में शामिल किया गया है।
बैठक में मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, प्रधानाचार्य डाईट, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक, जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक, उपनिदेशक एकीकृत बाल विकास योजना, मुख्य ब्लाॅक शिक्षा अधिकारी श्रीगंगानगर, पदमपुर, सादुलशहर, विधार्थी शिक्षा सहयोग समिति के श्री श्याम सुन्दर, सेठ नंदलाल धानुका हर्ष कांवेंट शिक्षा समिति के श्री अनिल धानुका उपस्थित थे। 

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