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प्रो-एक्टिव पुलिसिंग से अपराधों पर कसें लगाम, हर पीड़ित को मिले शीघ्र न्याय

 प्रो-एक्टिव पुलिसिंग से अपराधों पर कसें लगाम, हर पीड़ित को मिले शीघ्र न्याय

— मुख्यमंत्री



पुलिस महानिरीक्षकों एवं अधीक्षकों के साथ वीसी में बोले मुख्यमत्री श्री अशोक गहलोत

हनुमानगढ़, । मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि जिला पुलिस अधीक्षक प्रत्येक पीड़ित को न्याय दिलाने की सोच के साथ निचले स्तर तक कानून व्यवस्था की स्थिति को सुदृढ़ बनाने में अपनी सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि जिलों में थाने एवं चौकी स्तर तक प्रभावी मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जाए और प्रो-एक्टिव पुलिसिंग से प्रदेश को अपराध नियंत्रण में अग्रणी बनाया जाए।

श्री गहलोत शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पुलिस महानिरीक्षक एवं जिला पुलिस अधीक्षकों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह संतोष की बात है कि विभिन्न नवाचारों से पॉक्सो एक्ट, महिला अत्याचार तथा एससी-एसटी उत्पीड़न के प्रकरणों के निस्तारण में लगने वाले औसत समय में उल्लेखनीय कमी आई है। दुष्कर्म के मामलों में अनुसंधान समय वर्ष 2018 में 211 दिन था, जो वर्ष 2021 में घटकर 86 दिन रह गया है। पुलिस ने वर्ष 2021 में पॉक्सो एक्ट के 510 प्रकरणों में अपराधियों को सजा दिलाई है, जिनमें से 4 प्रकरणों में मृत्यु-दण्ड तथा 35 प्रकरणों में आजीवन कारावास की सजा मिली है। पुलिस आगे भी ऐसे मामलों में प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने पुलिस की कार्यशैली को आधुनिक, पब्लिक फ्रेंडली एवं प्रो-एक्टिव बनाने के उद्देश्य से थानों में स्वागत कक्ष, महिला अपराधों की रोकथाम एवं प्रभावी अनुसंधान के लिए हर जिले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद के सृजन, अनिवार्य एफआईआर रजिस्ट्रेशन, जघन्य अपराधों के लिए अलग इकाई का गठन, महिला एवं बाल डेस्क का संचालन, सुरक्षा सखी, पुलिस मित्र, ग्राम रक्षक, महिला शक्ति आत्मरक्षा केंद्र जैसे नवाचार किए हैं। इन नवाचारों के और बेहतर परिणाम हासिल हों। उन्होंने निर्देश दिए कि जिन थानों में स्वागत कक्ष नहीं बने हैं, वहां यह काम जल्द पूरा किया जाए। जिला पुलिस अधीक्षक स्वागत कक्षों का निरीक्षण करें, ताकि जिस मंशा के साथ इनका निर्माण किया गया है, उसे पूरा किया जा सके।

साइबर क्राइम रोकने के लिए अपनाएं नवाचार

श्री गहलोत ने निर्देश दिए कि तकनीक का दुरुपयोग कर किए जाने वाले साइबर एवं आर्थिक क्राइम तथा अन्य अपराधों पर प्रभावी रोकथाम के लिए जिला पुलिस अधीक्षक नवाचार अपनाएं। अपराध शाखा अपराधों का गुणवत्तापूर्ण पर्यवेक्षण करे और गंभीर अपराधों में उच्च अधिकारी स्वयं मौके पर जाकर उचित तफ्तीश सुनिश्चित करें। पुलिस हिरासत में मौतों, दुष्कर्म, बाल अपराध, महिला अत्याचार आदि की घटनाओं को प्राथमिकता एवं गंभीरता से लें। ऐसे मामलों में मीडिया को वास्तविक स्थिति से तुरंत अवगत कराएं, ताकि कानून-व्यवस्था की स्थिति नहीं बिगडे़। पुलिस मुख्यालय एवं जिलों की सोशल मीडिया टीमों के बीच प्रभावी समन्वय हो।

छूआछूत की घटनाओं को कड़ाई से रोकें

श्री गहलोत ने कहा कि आज के समय में भी छुआछूत और दबंगों द्वारा बिंदोरी के दौरान दूल्हे को घोड़ी से उतारने जैसी घटनाएं मानवता पर कलंक हैं। इन घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस विशेष प्रयास करे। गंभीर घटनाओं में नियमानुसार पीड़ित को प्रतिकर स्कीम में तत्काल सहायता उपलब्ध करवाएं। उन्होंने ठगी, ड्रग्स एवं नशीली दवाइयों के अवैध कारोबार तथा विभिन्न गिरोहों के द्वारा संगठित अपराधों आदि के मामलों में भी प्रभावी कार्रवाई करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने प्रतापगढ़ जिले में प्रो-एक्टिव पुलिसिंग के माध्यम से वाहन चोरी की घटनाओं में लिप्त अभियुक्तों के मोबाइल में मिले दुष्कर्म के वीडियो के आधार पर आगे की कार्यवाही करते हुए गिरोह को पकड़ने की सराहना की और कहा कि ऎसे प्रयास सभी जिलों में किए जाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस कार्मिक विषम एवं चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी को अंजाम देते हैं। ऎसे में पदोन्नति सहित अन्य सेवा लाभ समय पर मिलने से उनका मनोबल बढ़ता है। जिला पुलिस अधीक्षक यह सुनिश्चित करें कि पुलिस कार्मिकों को पदोन्नति समय पर मिले। साथ ही, लापरवाह एवं भ्रष्ट कर्मियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करें।

गृह राज्यमंत्री श्री राजेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि जिन क्षेत्रों में डकैती एवं लूटपाट की घटनाएं अधिक होती हैं, उन्हें चिन्हित कर अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस मुख्यालय स्तर पर प्रभावी योजना तैयार की जाए। उन्होंने कहा कि विभिन्न देशों में साइबर और अन्य अपराधों की रोकथाम के लिए प्रयोग ली जा रही तकनीकों एवं नवाचारों का अध्ययन कर उनमें से बेस्ट प्रैक्टिसेज को अपनाना चाहिए।

मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने कहा कि पुलिस के आधुनिकीकरण तथा उन्हें बेहतर संसाधन मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार ने समय-समय पर कई निर्णय किए हैं। पुलिस अधीक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर अपने जिलों में बेहतर कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करें। एडीजी अपराध श्री आरपी मेहरड़ा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह श्री अभय कुमार, पुलिस महानिदेशक इंटेलीजेंस श्री उमेश मिश्रा, एडीजी सिविल राइट्स श्रीमती स्मिता श्रीवास्तव, एडीजी एसओजी श्री अशोक राठौड़, एडीजी दूरसंचार श्री सुनील दत्त, एडीजी कानून व्यवस्था श्री हवासिंह घुमरिया, गृह सचिव श्री वी. सरवन कुमार, पुलिस महानिरीक्षक कार्मिक श्री गौरव श्रीवास्तव, उप पुलिस महानिरीक्षक अपराध शाखा श्री राहुल प्रकाश भी उपस्थित थे।

जयपुर पुलिस कमिश्नर श्री आनंद श्रीवास्तव ने साइबर अपराधों, अजमेर आईजी श्री रूपिंदर सिंह ने सड़क दुर्घटनाओं, अलवर पुलिस अधीक्षक तेजस्विनी गौतम ने महिला उत्पीड़न, बूंदी पुलिस अधीक्षक श्री जय यादव ने अजा-अजजा उत्पीड़न प्रकरणों एवं बाड़मेर पुलिस अधीक्षक श्री दीपक भार्गव ने प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल की रोकथाम के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया।
वीसी के दौरान हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट सभागार में जिला पुलिस अधीक्षक श्री अजय सिंह उपस्थित थे।

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