हनुमानगढ़। जंक्शन की नई धान मण्डी में 27 फरवरी से चल रही श्री संगीतमय श्रीराम कथा के तीसरे दिन कथा वाचक परम विदुषी डॉ. राधिका दीदी जी हरीद्वार वाले ने कहा कि गाय माता चलते-फिरते अस्पताल समान हैं। जो भक्त गौ माता की पूजा-अर्चना करता है वो स्वस्थ्य लाभ को प्राप्त होता है। एक गाय में तैतीस करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। गौशालाओं में अनगिनत गायें होती हैं, ऐसे में गौशालाओं में तो हजारों-करोड़ों देवी-देवताओं का वास हुआ। इसलिए भक्तों को गायों की सेवा कर तैतीस करोड़ देवी-देवताओं की पूजा का पुण्य कमाना चाहिए। सिर्फ गोपाष्टमी के दिन ही नहीं बल्कि रोजाना गायों की सेवा करें। परम विदुषी डॉ. राधिका दीदी जी ने कहा कि गायों की रक्षा करने के कारण ही भगवान कृष्ण का अतिप्रिय नाम ‘गोविंद’ पड़ा था। बृजवासियों की सुरक्षा को भगवान कृष्ण ने अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाया। भगवान सिर्फ गौ संरक्षण के लिए ही मृत्यु लोक में अवतरित हुए। परम विदुषी डॉ. राधिका दीदी जी ने कहा कि महाराजा दलीप ने भी स्वयं अपने हाथों से गायों की सेवा की थी। फलस्वरुप महाराजा दलीप के घर पुत्र रत्न पैदा हुआ। जिसका नाम रघु पड़ा और वह रघुवंशी कहलाए। परम विदुषी डॉ. राधिका दीदी जी ने कहा कि गौ हत्या तथा भ्रूणहत्या महा पाप है। इनसे बड़ा कोई पाप नहीं है। इसलिए गौ हत्या तथा भ्रूणहत्या के महा पाप से बचना चाहिए। अन्य पापों का तो किसी न किसी तरह से प्रायश्चित हो सकता है लेकिन इन पापों का कोई प्रायश्चित नहीं है। जो यह पाप करता है उसे आजीवन पछताना पड़ता है। आयोजन समिति के सदस्यों ने कहा कि 27 फरवरी से 7 मार्च तक दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक होगी और कथा का समापन 8 मार्च को सुबह 10 बजे होगा।
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