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बिना हाथ के सब-कुछ करती हैं ये लाडो-बिटिया,कोन कहता हैं लड़किया किसी से कम होती हैं

नका भी नसीब होता है जिनके हाथ नही होते
बिना हाथों के करती है सब काम
रामकरण पूनम प्रजापति
सूरतगढ़ राजस्थान।
बात करते हैं हम बस्करो की। अक्सर पुराने जमाने की सोच लिए कुछ लोग बेटी होना दुर्भाग्य मानते हैं। मगर बेटियां कम कहाँ है बेटो से। अगर उनका पालन पोषण सही किया जाये तो।
      यही कहानी ह बस्करो की जिसक सपना ह पुलिस बनना। पांचवी क्लास की इस बच्ची को क्या पता की पुलिस केसे बना जाता है फिर पुलिस की क्या भूमिका होती है ।फिर भी अगर आप और हम सब इसका सहयोग करे इनके परिवार की सहायता करे तो ये होनहार बच्ची पुरे सूरतगढ़ को बहुत आगे ले जा सकती है।

    पापा नही है बस्करो के
माँ सरोज गरीबी की दयनीय दशा से तंग आकर झाड़ू पोचा करने लगी थी। आज से बारह साल पहले उसके ट्रक ड्राईवर पति की एक्सीडेंट में मृत्यु हो गयी थी। उसको ना ही कोई बिमा मिला और ना ही कोई सहायता। कोई जमीन जायदाद भी नही है। घर का पालन पोषण अब भी बड़ी मुश्किल से होता है। घर की सारी जिम्मेदरी सरोज के बड़े बेटे जो अभी बी ए प्रथम बर्ष का विद्यार्थी है उस पर आन पड़ी है। सरोज के दो बेटियां और एक बेटा है।
बस्करो:बस्करो बहुत ही टेलेंटेड बच्ची है अभी पांचवी क्लास में पढती है। पढाई में काफी होशियार है। उसकी दोनों हाथो में अंगुलिया और अंगूठे नही है फिर भी वो सारा काम कर लेती है लिखाई तो बहुत ही साफ है उसकी। फिर गायन प्रतियोगिता हो या रस्सा कसी प्रतियोगिता सब में टॉप। उनके विद्यालय जाग्रति की अध्यापिका पूजा यादव बताती है ये कॊइ कुदरत का ही करिश्मा है की इस बच्ची को इस्वर ने हूनर दिया है। स्कुल में होने वाली मेहँदी प्रतियोगिता में भी बस्करो अक्सर प्रथम ही आती है।
         बस्करो का सपना ह वो बड़ी होकर पुलिस में जाये। अपने परिवार के हालात में सुधार करे और जनता की सेवा करे। उसको दिव्यांग श्रेणी की मानते हुए सरकार द्वारा पेंशन क लाभ भी मिलता है। राजकरण फिल्म प्रोडक्शन और वी ए फिल्म प्रोडक्शन ने रामेश्वरम ट्रस्ट के आह्वान पर उसे समाजिक सम्बल भी प्रदान किया और उस पर एक शोर्ट फिल्म बनाने की योजना भी बनाई।
            आज भी उसको हम सभी में आशा की एक किरण नजर आती है। अभी ये बच्ची पांचवी क्लास में भी इतना हुनर रखती है तो आगे तो देश को नये मुकाम तक ले जाएगी। स्कुल के प्रधानाध्यापक सुरजाराम कारग्वाल बताते हैं एक बार रसकस्सी प्रतियोगिता थी तो इसके हाथो से खून आने लगा पर इसने हार नही मानी। और सवालों के जबाब देने में ये कभी नही हिचकिचाती। इसको जरुरतमन्द बच्ची के नाते संस्था निशुल्क शिक्षा दे रही है। वे बताते हैं संस्था को इस होनहार बच्ची पर हमे गर्व है।
        एक शेर याद आता है मुझे मत करो विस्वास पीर फकीरों पर,मत करो विस्वास हाथों की लकीरों पर,अरे उनका भी नसीब होता ह जिनके हाथ नही होते।कोई भी सामाजिक संस्था या व्यक्तिगत सहयोग कर सकती है ।मोब नम्बर-8385004792रामेश्वरम ट्रस्ट।।

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