हनुमानगढ़। गणधिपति आचार्य तुलसी संयम शताब्दी वर्ष के तहत शनिवार को तेरापंथ सभा भवन, हनुमानगढ़ टाउन में आचार्य तुलसी के 100वें दीक्षा दिवस का भव्य आयोजन हुआ। कार्यक्रम मुनि श्री सुमति कुमार जी ठाणा-3 के सानिध्य में आयोजित किया गया, जिसमें श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिकता का गहरा वातावरण रहा।
महिला मंडल ने ‘तुलसी अष्टकम’ के मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद मुनि श्री देवार्य कुमार जी ने आचार्य तुलसी के जन्म, दीक्षा, नेतृत्व क्षमता और उनके द्वारा किए गए सामाजिक-धार्मिक योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आचार्य तुलसी ने मात्र 11 वर्ष की आयु में संयम मार्ग अपनाया तथा बाद में 22 वर्ष की उम्र में तेरापंथ धर्मसंघ का नेतृत्व संभाला।
अणुव्रत आंदोलन की शुरुआत, जैन एकता के लिए प्रयास, 62 हजार किलोमीटर की पदयात्रा और 776 साधु-साध्वियों को दीक्षा प्रदान करना, उनके जीवन की प्रमुख उपलब्धियाँ रहीं। साहित्य के क्षेत्र में भी उन्होंने सौ से अधिक कृतियाँ समाज को समर्पित कीं।
मुनि श्री सुमति कुमार जी ने कहा कि आचार्य तुलसी जैन समाज ही नहीं, पूरी मानवता के संत थे। कार्यक्रम में महिला मंडल, युवक परिषद, साध्वीगण की प्रस्तुतियाँ और छोटे बच्चों की गीतिका ने वातावरण को और अधिक भावपूर्ण बना दिया। सभा अध्यक्ष संजय बांठिया सहित बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने उनकी पुण्य स्मृतियों को नमन किया।
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